अध्याय-3 आय और उत्पाद के चक्रीय प्रवाह (Circular Flow of Income and Product)।
1.अर्थव्यवस्था के पाँच मूल क्षेत्र कौन कौन से होते है ?(Five Basic Sectors of the Economy)
आय और उत्पाद के चक्रीय प्रवाह के दृष्टिकोण से एक अर्थव्यवस्था का प्राय: पाँच क्षेत्रों में वर्गीकरण किया जाता है।
(i) उत्पादक क्षेत्र (Producer Sector):–
यह क्षेत्र उत्पादन के सधानों(श्रम,भूमि,पूंजी आदि) का प्रयोग कर के वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करता है ओर साधन सेवा के बदले में क्रमश मजदूरी,लगान,ब्याज आदि का भुगतान करता है।
(ii) गृहस्थ क्षेत्र (Household Sector ):-
यह क्षेत्र वस्तुओं एवं सेवाओं का उपभोग करता है। गृहस्थ उत्पादन के कारकों के स्वामी होते हैं इसलिए उत्पादक क्षेत्र को उत्पादन के सधानों(श्रम,भूमि,पूंजी आदि) प्रदान करता है।
(iii) सरकारी क्षेत्र (Government Sector):-
यह क्षेत्र कराधान (Taxation) एवं आर्थिक सहायता ( Subsidies) आदि से संबंधित कार्य करता है।
(iv) शेष विश्व क्षेत्र (Rest of the World Sector ):- यह क्षेत्र निर्यात और आयात करता है।
(v) वित्तीय क्षेत्र (Financial Sector ):- यह क्षेत्र मुद्रा उधार देता है एवं जमाएँ स्वीकार करता है।
2.आय और उत्पाद के चक्रीय प्रवाह कि कारणो सहित व्याख्या कीजिए।
(Meaning and Causes of Circular Flow of Income and Product)
आय और उत्पाद के चक्रीय प्रवाह-
आय और उत्पाद के चक्रीय प्रवाह से अभिप्राय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में मौद्रिक आय के प्रवाह या वस्तुओं और सेवाओं के चक्रीय रूप में प्रवाह से है ।
( It refers to flow of money income or the flow of goods and services across different sectors of the economy in a circular form.)
इस प्रवाह को आय का चक्रीय प्रवाह इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस प्रवाह का न कोई आरंभ होता है, और न कोई अंत होता है। यह निरंतर एक चक्र के रूप में प्रवाहित होता रहता है।
चक्रीय प्रवाह कारण:–
(i) किसी एक दिशा में होने वाले वस्तुओं और सेवाओं के प्रवाह के साथ-साथ उससे विपरीत दिशा में मुद्रा का प्रवाह होता है। उदाहरण: परिवार क्षेत्र से कारक सेवाओं के प्रवाह के साथ-साथ उत्पाद क्षेत्र से परिवार क्षेत्र की ओर कारक भुगतानों जैसे- लगान, मजदूरी, ब्याज और लाभ का प्रवाह होता है।
(ii) एक क्षेत्र को जो प्राप्तियाँ मिलती हैं, वे दूसरे क्षेत्र को किए जाने वाले भुगतान के बराबर होती हैं। यदि प्राप्तियाँ भुगतानों से कम हैं या भुगतान प्राप्तियों से कम हैं तो चक्रीय प्रवाह किसी एक अथवा दूसरे बिंदु पर अवश्य रुक जाएगा।
यह ध्यान रखना चाहिए कि अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में मौद्रिक आय या वस्तुओं और सेवाओं का प्रवाह इसलिए होता है क्योंकि एक क्षेत्र दूसरे क्षेत्र पर निर्भर करता है । उदाहरण ( Example) : गृहस्थ वस्तुओं एवं सेवाओं की पूर्ति के लिए उत्पादकों पर निर्भर करते हैं एवं उत्पादक उत्पादन के कारकों के लिए गृहस्थों पर निर्भर करते हैं।
अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों कि परस्पर निर्भरता अर्थव्यवस्था में पाए जाने वाले समष्टि आर्थिक चरों के स्तर जैसे उत्पादन के स्तर, उपभोग, निवेश इत्यादि के स्तर को समझने में सहायक होते हैं।
समष्टि आर्थिक चरों की जानकारी से अर्थव्यवस्था में आर्थिक क्रियाओं का स्तर प्रकट होता है। इसके द्वारा उसकी समृद्धि (Growth) और विकास का स्तर प्रकट होता है, इससे ज्ञात होता है कि एक राष्ट्र के निवासी शेष संसार के निवासियों की तुलना में कितने धनी अथवा निर्धन हैं। इसके द्वारा अर्थव्यवस्था के दोष या कमी (Deficiency) के क्षेत्र भी प्रकट होते हैं जैसे – निवेश या उपभोग व्यय आदि में पाई जाने वाली कमी।
2.1 आय और उत्पाद का चक्रीय प्रवाह कितने प्रकार का होता है?
(Study of Circular Flow of Income and Product)
आय के चक्रीय प्रवाह का अध्ययन दो प्रकार के दृष्टिकोणों से किया जा सकता है:
(i) एक प्रवाह तो वस्तुओं और सेवाओं के रूप में होता है, इसे वास्तविक प्रवाह (Real Flow) कहा जाता है,
(ii) दूसरा प्रवाह मुद्रा के रूप में होता है, इसे मौद्रिक प्रवाह (Monetary Flow) कहा जाता है।
आय के वास्तविक प्रवाह से अभिप्राय यह है कि परिवार क्षेत्र द्वारा प्रदान की गई उत्पादन के कारकों की सेवाओं का प्रवाह उत्पादक क्षेत्र की ओर होता है तथा उत्पादक क्षेत्र द्वारा उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का प्रवाह परिवार क्षेत्र की ओर होता है ।
उदाहरण (Illustration)
मान लीजिए एक सरल अर्थव्यवस्था में केवल दो क्षेत्र हैं:
(i) उत्पादक क्षेत्र ( Producer Sector )
(ii) परिवार क्षेत्र (Household Sector)
ये दोनों क्षेत्र निम्न प्रकार से परस्पर निर्भर हैं:-
(i) उत्पादक क्षेत्र, परिवार क्षेत्र को वस्तुओं एवं सेवाओं की पूर्ति करता है।
(ii)परिवार क्षेत्र,उत्पादन के कारकों के स्वामि होते है व कारक सेवाओं की पूर्ति उत्पादक क्षेत्र को करता है।
इन दोनों क्षेत्रों की परस्पर निर्भरता को चित्र 1 द्वारा स्पष्ट किया गया है।
Figure-1
उपरोक्त मॉडल एवं चित्र 1 द्वारा वास्तविक प्रवाहों (Real Flows) को (i) उत्पादक क्षेत्र से परिवार क्षेत्र की ओर वस्तुओं और सेवाओं के रूप में होने वाले प्रवाह एवं
(ii) परिवार क्षेत्र से कारक सेवाओं जैसे- श्रम, पूँजी, भूमि और उद्यम को उत्पादक क्षेत्र की ओर होने वाले प्रवाह के रूप में प्रकट किया गया है।
(2) मुद्रा का प्रवाह (Money Flow):-
मुद्रा के प्रवाह से अभिप्राय कारक आय अर्थात लगान, व्याज, लाभ और मजदूरी का उत्पादक क्षेत्र से परिवार क्षेत्र की ओर उनकी कारक सेवाओं के मौद्रिक पुरस्कारों के रूप में होने वाले प्रवाह से है। परिवार क्षेत्र अपनी आय को उत्पादक क्षेत्र द्वारा उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों के रूप में व्यय करता है । इस प्रकार मुद्रा का प्रवाह पारिवारिक व्यय के रूप में परिवार क्षेत्र से उत्पादक क्षेत्र की ओर वापिस हो जाता है।
Figure-2
दिया गया मॉडल व चित्र 2 मुद्रा प्रवाहों को प्रकट करता है। अपनी कारक सेवाओं के लिए परिवार क्षेत्र को कारक भुगतान (लगान, ब्याज, लाभ और मजदूरी) उत्पादक क्षेत्र से प्राप्त होते हैं। परिवार क्षेत्र वस्तुएँ और सेवाएँ खरीदने के लिए जो व्यय करता है वह उत्पादक क्षेत्र को प्राप्त होता है।
2.2 चक्रीय प्रवाह मॉडल क्या प्रकट करता है? (What does the Circular Flow Model Show ? )
चक्रीय प्रवाह मॉडल निम्नलिखित सूचना प्रदान करता है:-
(i) एक दी हुई अवधि (सामान्यतया एक वर्ष) में अर्थव्यवस्था में उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं का मूल्य । यह राष्ट्रीय उत्पाद (National Product) है।
(ii) एक वर्ष की अवधि के दौरान लगान, ब्याज, लाभ तथा मजदूरी के रूप में अर्थव्यवस्था में प्रजनित आय। यह राष्ट्रीय आय (National Income) है।
(iii) वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य (राष्ट्रीय उत्पाद) सदा आय प्रजनन (राष्ट्रीय आय ) के बराबर होता है। यह स्पष्ट रूप से राष्ट्रीय उत्पाद तथा राष्ट्रीय आय की समरूपता (Identity) को दर्शाता है। अतएव,
राष्ट्रीय उत्पाद = राष्ट्रीय आय
(iv) अर्थव्यवस्था में उत्पादित सभी वस्तुओं तथा सेवाओं को अंतत: खरीद लिया जाता है। यह स्पष्ट रूप से किसी वर्ष में उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं तथा उन वस्तुओं और सेवाओं पर हुए व्यय के बीच पाई जाने वाली समरूपता को दर्शाता है। अतएव, वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य = वस्तुओं और सेवाओं पर व्यय ।
संक्षेप में, चक्रीय प्रवाह मॉडल यह प्रकट करता है कि एक वर्ष में उत्पादन को उसी कारक आय (अर्थात् लगान, ब्याज, लाभ तथा मजदूरी के रूप में उत्पादन कारक स्वामियों) में परिवर्तित कर दिया जाता है और एक वर्ष में कारक आय को उसी व्यय (वस्तुओं और सेवाओं पर) में परिवर्तित कर दिया जाता है । अतएव,
उत्पादन = आय का प्रजनन = वस्तुओं और सेवाओं पर व्यय
उत्पादन, आय तथा व्यय का स्तर किसी अर्थव्यवस्था में आर्थिक क्रिया के स्तर को बतलाता है । उत्पादकों तथा गृहस्थों के रूप में यह अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की क्रियाओं की संरचना की सूचना देता है ।
3.विभिन्न क्षेत्रों में आय का चक्रीय प्रवाह(Circular Flow of Income in Different Sectors)
आय के चक्रीय प्रवाह का विश्लेषण, अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से, कुछ सरल मान्यताओं के आधार पर तीन प्रकार की स्थितियों में किया जा सकता है:
(1) दो क्षेत्रीय मॉडल (Two Sector Model):–
इसके अंतर्गत (i) घरेलू क्षेत्र (Household Sector) तथा (ii) उत्पादक क्षेत्र या फर्मों (Producer’s Sector or Firms) के मध्य में आय के होने वाले चक्रीय प्रवाह का अध्ययन किया जाता है।
(2) तीन क्षेत्रीय मॉडल (Three Sector Model):–
इसके अंतर्गत (i) घरेलू क्षेत्र (Household Sector), (ii) उत्पादक क्षेत्र (Producer’s Sector), तथा (iii) सरकार (Government) के मध्य में होने वाले आय के चक्रीय प्रवाह का अध्ययन किया जाता है। अन्य शब्दों में, इस मॉडल द्वारा बंद अर्थव्यवस्था में आय के प्रवाह का अध्ययन किया जाता है।
(3) चार क्षेत्रीय मॉडल (Four Sector Model):–
इसके अंतर्गत (i) घरेलू क्षेत्र (Household Sector), (ii) उत्पादक क्षेत्र (Producer’s Sector), (iii) सरकार (Government) तथा (iv) विदेशी क्षेत्र (Foreign Sector) के मध्य में होने वाले आय के चक्रीय प्रवाह का अध्ययन किया जाता है। इस मॉडल द्वारा खुली अर्थव्यवस्था (Open Economy) में आय के चक्रीय प्रवाह का अध्ययन किया जाता है।
आय प्रवाह की इन विभिन्न स्थितियों का अध्ययन निम्नलिखित सिद्धांतों या मॉडलों के रूप में किया जाता है:
3.1 आय के चक्रीय प्रवाह का दो क्षेत्रीय मॉडल बताओ (Two Sector Model of the Circular Flow of Income)
आय के चक्रीय प्रवाह के दो क्षेत्रीय मॉडल में अर्थव्यवस्था के दो क्षेत्रों अर्थात (i) घरेलू क्षेत्र तथा (ii) फर्मों या उत्पादक क्षेत्र के मध्य में होने वाले चक्रीय प्रवाह का अध्ययन किया जाता है।
मान्यताएँ (Assumptions):-
(i) अर्थव्यवस्था में केवल दो क्षेत्र हैं:-
(a) उत्पादक क्षेत्र (Producer’s Sector ):-
यह क्षेत्र अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं को उत्पन्न करता है। यह क्षेत्र उत्पादन के कारकों की सेवाओं जैसे- श्रम, पूँजी आदि का प्रयोग करता है।
(b) घरेलू क्षेत्र (Household Sector ):-
यह क्षेत्र उत्पादक क्षेत्र को उत्पादन के कारकों की सेवाएँ प्रदान करता है तथा उत्पादक क्षेत्र द्वारा उत्पादित अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं का उपभोग करता है ।
(ii) सरकार का आर्थिक क्रियाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
(iii) अर्थव्यवस्था एक बंद अर्थव्यवस्था (Closed Economy) है अर्थात उत्पादक क्षेत्र द्वारा वस्तुओं का निर्यात या आयात नहीं किया जाता और घरेलू क्षेत्र केवल घरेलू उत्पादन पर निर्भर रहता है।
(iv) घरेलू क्षेत्र अपनी संपूर्ण आय वस्तुओं एवं सेवाओं पर व्यय करते हैं अर्थात कोई बचत नहीं करते ।
उपरोक्त मान्यताओं के आधार पर आय के चक्रीय प्रवाह को चित्र 3 द्वारा स्पष्ट किया गया है।
Figure-3
यहाँ पर बाहर का चक्र वास्तविक प्रवाह को प्रकट कर रहा है तथा अंदर का चक्र मौद्रिक प्रवाह को प्रकट कर रहा है। वास्तविक प्रवाह से ज्ञात होता है कि उत्पादन के कारकों की सेवाओं का प्रवाह घरेलू क्षेत्र से उत्पादक क्षेत्र या फर्मों की ओर होता है तथा वस्तुओं और सेवाओं का प्रवाह फर्मों की ओर से घरेलू क्षेत्र की ओर होता है। मौद्रिक प्रवाह से ज्ञात होता है कि मजदूरी, लगान, लाभ तथा ब्याज के रूप में मौद्रिक आय का प्रवाह फर्मों की ओर से घरेलू क्षेत्र की ओर हो रहा है। इसके विपरीत वस्तुओं तथा सेवाओं के उपभोग पर किया जाने वाले व्यय का प्रवाह घरेलू क्षेत्र से उत्पादक क्षेत्र या फर्मों की ओर हो रहा है।
चूंकि गृहस्थ अपनी समस्त आय को व्यय कर देते हैं। निश्चय ही उत्पादक क्षेत्र की कुल मौद्रिक प्राप्ति गृहस्थों की आय एवं उपभोग के बराबर होगी । अर्थात
उत्पादकों की मौद्रिक प्राप्ति = गृहस्थों की आय = गृहस्थों का उपभोग व्यय
इस प्रकार अर्थव्यवस्था में कुल माँग और कुल पूर्ति बराबर होंगे। इस स्थिति को ही संतुलन की स्थिति (Position of Equilibrium) कहा जाता है, जिसमें कि आय का चक्रीय प्रवाह नियमित रूप से निरंतर चलता रहता है।
3.2 अर्थव्यवस्था में बचत – निवेश / वित्तीय प्रणाली के साथ दो क्षेत्रीय मॉडल
(Two Sector Model with Saving-Investment/Financial System)
वास्तव में प्रत्येक अर्थव्यवस्था में बचत (Saving) की जाती है। अर्थव्यवस्था में बचत (परिवार तथा उत्पादक क्षेत्र द्वारा) के फलस्वरूप वित्तीय प्रणाली का उदय होता है। वित्तीय प्रणाली से अभिप्राय मुद्रा का लेन-देन करने वाले वित्तीय मध्यस्थों (Financial Intermediaries) जैसे बैंकों तथा अन्य वित्तीय संस्थाओं से है। परिवार एवं उत्पादक दोनों क्षेत्र बचत करते हैं। इन बचतों का प्रवाह मुद्रा बाजार और पूँजी बाजार (या वित्तीय प्रणाली) की ओर होता है। जहाँ से इन बचतों का ऋणों के रूप में निवेश के लिए उत्पादक क्षेत्र तथा उधार के रूप में परिवार क्षेत्र की ओर प्रवाह होता है।
इस स्थिति को चित्र 4 द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है। घरेलू क्षेत्र जो बचत करता है पूँजी बाजार अर्थात बैंक, वित्तीय निगमों आदि वित्तीय संस्थाओं के माध्यम से उसका प्रवाह निवेश के रूप में फर्मों की ओर होता है।
Figure-4
3.3 आय के चक्रीय प्रवाह का तीन क्षेत्रीय मॉडल कि व्याख्या कीजिए(Three Sector Model of the Circular Flow of Income):-
चक्रीय प्रवाह का यह मॉडल वास्तविकता के अधिक समीप है। इस मॉडल में एक ऐसी अर्थव्यवस्था का अध्ययन किया जाता है जिसमें न केवल उत्पादक तथा घरेलू क्षेत्रों बल्कि सरकार की आर्थिक क्रियाओं का भी समावेश है। परंतु अभी हम यह मानकर चलते हैं कि अर्थव्यवस्था बंद (Closed) है, अर्थात आय के चक्रीय प्रवाह पर विदेशी क्षेत्र का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
अब हम अपने चक्रीय प्रवाह मॉडल में एक- तीसरे क्षेत्र अर्थात सरकारी क्षेत्र को शामिल करते हैं। सरकार अर्थव्यवस्था में निम्नलिखित कार्य करती है:-
(i) सरकार परिवार क्षेत्र पर कर लगाती है (जैसे आय कर, आवास कर) । इसके फलस्वरूप मुद्रा का प्रवाह परिवार क्षेत्र से सरकारी क्षेत्र की ओर होता है।
(ii) सरकार उत्पादक क्षेत्र पर कर लगाती है (जैसे उत्पादन कर, बिक्री कर) । इसके फलस्वरूप मुद्रा का प्रवाह उत्पादक क्षेत्र से सरकारी क्षेत्र की ओर होता है।
(iii) सरकार उत्पादकों को आर्थिक सहायता ( Subsidies) देती है। इसके फलस्वरूप मुद्रा का प्रवाह सरकारी क्षेत्र से उत्पादक क्षेत्र की ओर होता है।
(iv) सरकार घरेलू क्षेत्र को आर्थिक सहायता देती है; जैसे- वरिष्ठ नागरिकों को वृद्धावस्था पेंशन देती है। इन्हें हस्तांतरण भुगतान (Transfer Payments) कहते हैं। इसके फलस्वरूप मौद्रिक प्रवाह सरकारी क्षेत्र से परिवार क्षेत्र की ओर होता है।
(v) सरकार बचत करती है जिसके फलस्वरूप मुद्रा का प्रवाह सरकारी क्षेत्र से मुद्रा बाजार की ओर होता है। (vi) सरकार मुद्रा उधार लेती है जिसके फलस्वरूप मुद्रा का प्रवाह मुद्रा बाजार से सरकारी क्षेत्र की ओर होता है।
(vii) सरकार वस्तुएँ और सेवाएँ खरीदती है जिसके फलस्वरूप मुद्रा का प्रवाह सरकारी क्षेत्र से उत्पादक क्षेत्र की ओर होता है।
चित्र 5 द्वारा तीन क्षेत्रीय चक्रीय प्रवाह मॉडल में सरकारी क्षेत्र से एवं सरकारी क्षेत्र की ओर होने वाला मुद्रा का प्रवाह स्पष्ट हो जाता है।
Figure-5
3-Sector Circular Flow Model reflecting activities of Government along with Producers and Households
[Note : Only money flows are shown] [टिप्पणी: केवल मौद्रिक प्रवाह को दिखाया गया है।]
3.4 आय के चक्रीय प्रवाह का चार क्षेत्रीय मॉडल कि व्याख्या कीजिए
(Four Sector Model of Circular Flow of Income)
Figure-6
4-Sector Circular Flow Model reflecting activities of Rest of the World along with Producers, Households and the Government
इन चार क्षेत्रों में होने वाले आय के चक्रीय प्रवाह को चित्र 6 की सहायता से स्पष्ट किया जा सकता है।
आय के प्रवाह की दृष्टि से प्रत्येक क्षेत्र की दोहरी क्षमता (Double Capacity) होती है। अर्थव्यवस्था का प्रत्येक क्षेत्र दूसरे क्षेत्रों को कुछ भुगतान करता है तथा इसके साथ ही साथ दूसरे क्षेत्रों से कुछ भुगतान प्राप्त करता है। विभिन्न क्षेत्रों में होने वाले आय के चक्रीय प्रवाह को अग्रलिखित ढंग से व्यक्त किया जा सकता है।
(i) घरेलू क्षेत्र (Household Sector):-
परिवार क्षेत्र, अन्य क्षेत्रों से कुछ प्राप्तियाँ करता है तथा उन्हें भुगतान भी करता है। इस क्षेत्र की प्राप्तियाँ तथा भुगतान निम्नलिखित हैं:
(a) प्राप्तियाँ (Receipts):-
घरेलू क्षेत्र को उत्पादक क्षेत्र से उत्पादन के कारकों की सेवाओं के बदले में कारक आय ( Factor Income) लगान, ब्याज, लाभ तथा मजदूरी के रूप में प्राप्त होती है। इस क्षेत्र को सरकारी क्षेत्र से हस्तांतरण भुगतान (Transfer Payments) भी प्राप्त होते हैं। इस प्रकार कारक आय तथा हस्तांतरण भुगतान / अदायगियाँ के रूप में आय का प्रवाह परिवार क्षेत्र की ओर होता है।
(b) भुगतान / अदायगियाँ ( Payments ):-
घरेलू क्षेत्र अपनी आवश्यकता की उपभोक्ता वस्तुएँ तथा सेवाएँ खरीदने के लिए उत्पादक क्षेत्र को उपभोग व्यय के रूप में भुगतान करता है । यह क्षेत्र सरकार को प्रत्यक्ष करों का भुगतान करता है। इस क्षेत्र की बचत का प्रवाह पूँजी बाजार (Capital Market) की ओर होता है। अतएव घरेलू क्षेत्र से उपभोग व्यय, कर तथा बचत के रूप में आय का प्रवाह क्रमशः उत्पादक क्षेत्र, सरकारी क्षेत्र तथा पूँजी बाजार की ओर होता है।
(ii) उत्पादक क्षेत्र (Producing Sector):-
उत्पादक क्षेत्र की मुख्य प्राप्तियाँ तथा भुगतान निम्नलिखित हैं:
(a) प्राप्तियाँ (Receipts):-
उत्पादक क्षेत्र को घरेलू क्षेत्र तथा सरकारी क्षेत्र से वस्तुओं तथा सेवाओं के बदले में आय प्राप्त होती है। इस क्षेत्र को शेष विश्व क्षेत्र से निर्यात के बदले में आय प्राप्त होती है तथा पूँजी बाजार से आवश्यकता के अनुसार कर्जा प्राप्त होता है। उत्पादक क्षेत्र को सरकारी क्षेत्र से उत्पादन बढ़ाने के लिए आर्थिक सहायता (Subsidies) प्राप्त होती है । अतएव वस्तुओं की कीमत, निर्यातों से आय, सरकारी सहायता तथा पूँजी बाजार से ऋण के रूप में आय का प्रवाह विभिन्न क्षेत्रों से उत्पादक क्षेत्र की ओर होता है।
(b) भुगतान / अदायगियाँ (Payments):-
उत्पादक क्षेत्र कारकों की सेवाओं के लिए घरेलू क्षेत्र को भुगतान करता है। सरकार को कर (Taxes) देता है। शेष विश्व से किए जाने वाले आयात (Imports) के लिए भुगतान किया जाता है तथा जो बचत होती है उन्हें पूँजी बाजार में जमा करा दिया जाता है। इस प्रकार उत्पादक क्षेत्र से कारक सेवाओं के लिए भुगतान, कर, आयात तथा बचत के रूप में आय का प्रवाह क्रमश: घरेलू क्षेत्र, सरकारी क्षेत्र, शेष विश्व क्षेत्र तथा पूँजी बाजार की ओर होता है।
(iii) सरकारी क्षेत्र (Government Sector):-
सरकारी क्षेत्र की मुख्य प्राप्तियाँ तथा भुगतान निम्न प्रकार के हैं:
(a) प्राप्तियाँ (Receipts):-
सरकारी क्षेत्र को परिवार क्षेत्र से प्रत्यक्ष कर तथा उत्पादक क्षेत्र से अप्रत्यक्ष कर और निगम कर प्राप्त होते हैं। इस प्रकार करों के रूप में आय का प्रवाह घरेलू क्षेत्र तथा उत्पादक क्षेत्र से सरकारी क्षेत्र की ओर होता है। (b) भुगतान / अदायगियाँ (Payments):-
सरकारी क्षेत्र उत्पादक क्षेत्र से जो वस्तुएँ तथा सेवाएँ खरीदता है उसके लिए इस क्षेत्र को भुगतान करता है तथा आर्थिक सहायता (Subsidies) भी देता है। सरकारी क्षेत्र द्वारा घरेलू क्षेत्र को वृद्धावस्था पेंशन, वजीफे आदि के रूप में आर्थिक सहायता (Subsidies) भी दी जाती है। यदि सरकारी क्षेत्र की आय उसके व्यय से अधिक होती है तो वह पूँजी बाजार में बचत जमा कर सकता है अथवा इसके विपरीत स्थिति में पूँजी बाजार से रुपया उधार ले सकता है।
(iv) शेष विश्व क्षेत्र (Rest of the World Sector )
शेष विश्व क्षेत्र की मुख्य प्राप्तियाँ तथा भुगतान निम्नलिखित हैं:
(a) प्राप्तियाँ (Receipts):-
(i) हमारा उत्पादक क्षेत्र शेष विश्व को वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात करता है । इसके फलस्वरूप निर्यात प्राप्तियों के रूप में मौद्रिक प्रवाह विदेशी क्षेत्र से उत्पादक क्षेत्र की ओर होता है।
(ii) हमारे निवासी शेष विश्व से उपहार या हस्तांतरण भुगतान प्राप्त करते हैं। इसी प्रकार वे शेष विश्व के निवासियों को उपहार या हस्तांतरण भुगतान प्रदान करते हैं।
निवल हस्तांतरण भुगतान = प्राप्त किए गए हस्तांतरण भुगतान – दिए गए हस्तांतरण भुगतान
निवल हस्तांतरण भुगतान को शेष विश्व से प्राप्त प्राप्तियाँ माना जाता है, इसे चक्रीय प्रवाह में शेष विश्व से परिवार क्षेत्र को होने वाले मौद्रिक प्रवाह के रूप में प्रकट किया जाता है।
(iii) हमारे निवासी शेष विश्व को जो कारक सेवाएँ प्रदान करते हैं उसके बदले में ये कारक भुगतान (लगान, ब्याज, लाभ और मजदूरी) प्राप्त करते हैं। इसी प्रकार हम शेष विश्व को उसकी कारक सेवाओं के बदले में कारक भुगतान प्रदान करते हैं।
शेष विश्व से प्राप्त निवल कारक भुगतान = शेष विश्व से प्राप्त कारक भुगतान – शेष विश्व को प्रदान किए गए कारक भुगतान
इसे विदेशी क्षेत्र से परिवार क्षेत्र की ओर मौद्रिक प्रवाह के रूप में प्रकट किया जाता है। चित्र 6 में चार क्षेत्रीय चक्रीय प्रवाह मॉडल दिखाया गया है जो हमारी अर्थव्यवस्था एवं शेष विश्व की परस्पर निर्भरता को प्रकट करता है ।
(b) भुगतान / अदायगियाँ ( Payments):-
हमारे उत्पादक शेष विश्व से वस्तुओं और सेवाओं का आयात करते हैं इसके फलस्वरूप आयात भुगतान के रूप में मौद्रिक प्रवाह उत्पादकों से शेष विश्व की ओर होता है।
(v) पूँजी बाजार (Capital Market):-
परिवार, उत्पादक और सरकारी क्षेत्र अपनी आय के कुछ भाग की बचत भी करते हैं। परिवार अपनी सारी आय को वस्तुओं और सेवाओं पर खर्च नहीं करते। वे कई कारणों से जैसे कठिनाइयों के समय के लिए, संपत्ति इकट्ठी करने के लिए, टिकाऊ उपभोग वस्तुएँ आदि खरीदने के लिए बचत करते हैं। इसी प्रकार उत्पादक क्षेत्र भी बचत करता है। वे अपने सारे लाभ को शेयर होल्डर्स अर्थात् हिस्सेदारों में नहीं बांट देते। वे घिसावट की लागत को पूरा करने के लिए, उत्पादन के पैमाने को बढ़ाने के लिए, सुरक्षित कोषों आदि में वृद्धि करने के लिए लाभों का एक भाग बचत के रूप में अपने पास रख लेते हैं। सरकार भी अपनी आय के कुछ भाग की बचत करती है। ये बचत पूँजी बाजार में जमा होती हैं। इस प्रकार घरेलू उत्पादक तथा सरकारी क्षेत्रों से बचत का प्रवाह पूँजी बाजार की ओर होता है। पूँजी बाजार से उत्पादक क्षेत्र तथा सरकारी क्षेत्र इन बचतों को निवेश के लिए उधार ले लेते हैं। इस प्रकार पूँजी बाजार से बचत का प्रवाह निवेश के रूप में उत्पादक क्षेत्र तथा सरकारी क्षेत्र की ओर होता है।
4.चक्रीय प्रवाह मॉडल में वापसी तथा समावेश(Leakages and Injections in the Circular Flow Model)
चक्रीय प्रवाह में त्रिपक्षीय समरूपता (Triple Identity) पायी जाती है:
उत्पादन = आय = व्यय
यह सदा बनी रहती है। किंतु इसमें विस्तार (Expansion) अथवा संकुचन (Contraction) हो सकता है। हम मान लेते हैं कि आरंभ में उत्पादन = 200, आय = 200, व्यय = 200 | चक्रीय प्रवाह का विस्तार (Expansion) तब होता है जब उत्पादन, आय तथा व्यय का स्तर बढ़कर 300 हो जाता है, जिससे उत्पादन = 300, आय = 300, व्यय = 300 । इसके विपरीत, चक्रीय प्रवाह का संकुचन तब होता है जब उत्पादन, आय तथा व्यय का स्तर घटकर 200 से 150 रह जाता है।
चक्रीय प्रवाह का विस्तार, समावेश (Injections) के कारण तथा इसका संकुचन, वापसी (Leakages) के कारण होता है। इनका विस्तृत विवरण निम्नलिखित है।
वापसी या क्षरण क्या है ?(What are Leakages ?)
वापसी से अभिप्राय वह आय है जिसे बचाकर रख लिया जाता है और आय प्रवाह में वापस नहीं लौटाया जाता। यदि उत्पादन के कारक अपनी आय को देश में उत्पादित वस्तुओं व सेवाओं पर खर्च नहीं करें तो इसे आय की वापसी कहा जाएगा। इसी प्रकार यदि वस्तुएँ बेचकर फर्में जो आय प्राप्त करती हैं उसका मुख्य भाग उत्पादन कारकों की सेवाएँ खरीदने पर खर्च न करके अवितरित आय या लाभ के रूप में रख लें तो वह भी आय प्रवाह से आय की वापसी होगी । लिप्सी के शब्दों में, “आय की वापसी आय का वह भाग है जो आय के चक्रीय प्रवाह में वापस खर्च नहीं किया जाता ।
(A withdrawal or leakage of income refers to that part of income which does not go back to the circular flow of income in the form of expenditure. —Lipsey)
वापसी (Leakages):-
वे प्रवाह चर हैं जिनका उत्पादन की प्रक्रिया (या आय सृजन प्रक्रिया) पर ऋणात्मक प्रभाव पड़ता है। [Leakages are those flow variables which have a negative impact on the process of production (or on the process of income generation) in the economy.]
वापसी (i) बचत (ii) आयात (iii) सरकार द्वारा लगाए गए कर हैं। यह सभी चर अर्थव्यवस्था में आय के प्रवाह को कम करते हैं। इसलिए इन्हें वापसी या क्षरण (Leakages) कहा जाता है।
समावेश या भरण क्या है ? (What are Injections?):-
‘आय का समावेश आय में होने वाली वृद्धि है जो चक्रीय प्रवाह से बाहर किसी और ढंग द्वारा होती है।” उदाहरण तौर पर यदि फर्में बैंकों से रुपया उधार लेकर उत्पादन के कारकों को उनकी सेवाओं के बदले में भुगतान करती हैं तो इसे फर्मों द्वारा किया गया आय का समावेश (Injection of Income) कहा जाएगा, क्योंकि इस अवस्था में फर्में उत्पादन के कारकों की अतिरिक्त सेवाएँ खरीदने के लिए चक्रीय आय प्रवाह से प्राप्त आय का प्रयोग नहीं कर रही हैं। वे एक बाहरी कारक अर्थात् बैंकों (पूँजी बाजार) से रुपया उधार लेकर कारकों को उनकी सेवाओं का भुगतान कर रही हैं ।
- लिप्सी के अनुसार, “चक्रीय प्रवाह में समावेश वह आय है जो एक क्षेत्र प्राप्त करता है परंतु यह आय अन्य क्षेत्र के व्यय से उत्पन्न नहीं होती।” (An injection into the circular flow is income received by a sector, that does not arise from the spending of other sector. -Lipsey)
समावेश वे प्रवाह चर हैं जो अर्थव्यवस्था में उत्पादन की प्रक्रिया (या आय सृजन की प्रक्रिया) में वृद्धि करते हैं। are those flow variables which cause an increase in the process of production (or the [Injections of income generation) in the economy process .]
ये समावेश निम्नलिखित हैं:-
(i) निवेश (ii) निर्यात (iii) सरकारी एवं परिवार क्षेत्र द्वारा किया गया उपभोग व्यय । आधारभूत दृष्टि से ये सभी व्यय हैं अर्थात अर्थव्यवस्था द्वारा उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं पर किए गए व्यय हैं।
ये चर अर्थव्यवस्था को दो प्रकार से प्रभावित करते हैं
(a) अर्थव्यवस्था की उत्पादन क्षमता में वृद्धि करते हैं।
(b) उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की माँग का सृजन करते हैं। इसके फलस्वरूप विकास प्रक्रिया में वृद्धि होती है। चित्र 7 द्वारा
समावेश एवं वापसी को स्पष्ट किया गया है।
Figure-7
- मुख्य वापसियाँ तथा समावेश(Main Withdrawals and Injections):-
आय प्रवाह में मुख्य रूप से (i) घरेलू क्षेत्र, (ii) उत्पादक क्षेत्र, (iii) सरकारी क्षेत्र तथा (iv) शेष विश्व क्षेत्र की आय तथा व्यय शामिल होते हैं। इन क्षेत्रों की वापसी और समावेश का ही आय प्रवाह के संतुलन पर प्रभाव पड़ता है। इन क्षेत्रों द्वारा की गई मुख्य वापसियों तथा समावेश को निम्नलिखित तालिका द्वारा प्रकट किया जा सकता है।
क्षेत्र (Sector)
(i) घरेलू (Household)
(ii) उत्पादक (Producing)
समावेश (Injections)
निवेश सरकारी खर्च
वापसी (Withdrawals)
बचत
बचत
(iii) सरकार (Government )
कर
(iv) शेष विश्व (Rest of the World)
आयात
निर्यात
47
- आय के चक्रीय प्रवाह के अध्ययन का महत्त्व(Significance of the Study of Circular Flow of Income):-
आय के चक्रीय प्रवाह की धारणा का अध्ययन निम्नलिखित कारणों से महत्त्वपूर्ण है:
(1) परस्पर निर्भरता का ज्ञान (Knowledge of Interdependence):-
चक्रीय प्रवाह के मॉडल अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में पाई जाने वाली परस्पर निर्भरता को समझाने में सहायक होते हैं। उदाहरण के लिए हमें यह ज्ञात होता है कि उत्पादक क्षेत्र किस प्रकार परिवार क्षेत्र पर निर्भर करता है एवं परिवार क्षेत्र किस प्रकार उत्पादक क्षेत्र पर निर्भर करता है।
(2) समावेश या भरण और वापसी या क्षरण की पहचान ( Identification of Injections and Leakages):-
चक्रीय प्रवाह मॉडल द्वारा अर्थव्यवस्था में समावेश या भरण और वापसी या क्षरण संबंधी प्रवाह चरों की पहचान करने में सहायता मिलती है। हम यह ज्ञात कर सकते हैं कि वापसी या क्षरण (बचत और आयात) के संबंध में समावेश या भरण (निवेश और निर्यात) का कितना महत्त्व है।
(3) राष्ट्रीय आय का अनुमान ( Estimation of National Income):-
चक्रीय प्रवाह मॉडल राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाने में सहायक सिद्ध होते हैं।
उदाहरण (Example): राष्ट्रीय आय किसी देश में उत्पादक क्षेत्र से परिवार क्षेत्र की ओर प्रवाहित कुल कारक आय (लगान + लाभ + मजदूरी + ब्याज ) का जोड़ है। इसे उत्पादक क्षेत्र से अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों की ओर प्रवाहित होने वाले वस्तुओं और सेवाओं के बाजार मूल्य के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है या इसे उत्पादक क्षेत्र द्वारा उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं पर किए गए व्यय के कुल जोड़ के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है।
(4) समष्टि चरों का तुलनात्मक महत्त्व (Relative Significance of Macro Variables):-
ये मॉडल विभिन्न समष्टि चरों जैसे- राष्ट्रीय आय, बचत, निवेश आदि के तुलनात्मक महत्त्व को प्रकट करते हैं। इसके फलस्वरूप हम अर्थव्यवस्था की रचना के विषय में निष्कर्ष निकाल सकते हैं।
III. लघु और दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Short and Long Answer Type Questions)
- वित्तीय प्रणाली के बिना दो क्षेत्रीय चक्रीय प्रवाह मॉडल बनाइए ।(BSEH 2016)
- मौद्रिक प्रवाह और वास्तविक प्रवाह के बीच अंतर बताइए ।
- आय और उत्पाद के चक्रीय प्रवाह के तीन पक्ष कौन-से हैं ?
- आय और उत्पाद के चक्रीय प्रवाह के दो आधारभूत सिद्धांत बताइए ।
- उत्पादक और परिवार किस प्रकार एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं ?
- दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में आय के चक्रीय प्रवाह की व्याख्या करें।(BSEH 2012)
- दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में सरकारी क्षेत्र के सहयोग से आय के चक्रीय प्रवाह की चित्र सहित व्याख्या कीजिए ।
- चित्र की सहायता से तीन क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था के चक्रीय प्रवाह का वर्णन कीजिए ।
- निबंधात्मक प्रश्न(Essay Type Questions):-
- दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में आय के चक्रीय प्रवाह की व्याख्या कीजिए ।
Explain circular flow of income in a two sector economy. (BSEH 2013)
- तीन क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में आय के चक्रीय प्रवाह ही व्याख्या करें।
Explain circular flow of income in three sector economy.
- चार क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में आय के चक्रीय प्रवाह की व्याख्या कीजिए ।
Explain circular flow of income in a four sector economy. (BSEH 2012),(BSEH 2012, 2013)
- 4. आय और उत्पाद के चक्रीय प्रवाह के तीन पक्ष कौन-से हैं; इन विभिन्न पक्षों से संबंधित आपको किस प्रकार के आँकड़ों कीआवश्यकता होगी ?
What are the three phases of circular flow of income and product; what type of data would
you require corresponding to the different phases?
- चक्रीय प्रवाह मॉडल का महत्त्व बताइए ।
State the significance of circular flow model.
- आय के चक्रीय प्रवाह के समावेश (भरण) और वापसी (क्षरण) की धारणाओं की व्याख्या कीजिए । Explain the concepts of injections and leakages in circular flow of income.
- चक्रीय प्रवाह मॉडल उत्पादन, आय और व्यय में समानता स्थापित करते हैं । व्याख्या कीजिए ।
Circular flow models establish the equality between production, income and expenditure. Explain.
- वास्तविक प्रवाह तथा मौद्रिक प्रवाह में क्या अंतर है? बचत तथा वित्तीय प्रणाली के साथ दो क्षेत्रीय मॉडल की व्याख्याकीजिए ।
What is the difference between real flow and monetary flow? Explain two sector model with savings and financial system.