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अध्याय -4 राष्ट्रीय आय तथा संबंधित समुच्चय National Income And Related aggregates

 

  1. राष्ट्रीय आय से संबंधित कुछ मूल धारणाएँ (Some Basic Concepts related to National Income) 

राष्ट्रीय आय के विषय को समझने के लिए कुछ मूल धारणाओं की जानकारी आवश्यक है। ये महत्त्वपूर्ण धारणाएँ इस प्रकार हैं:- 

(i) घरेलू सीमा क्या है?

आम बोलचाल की भाषा में घरेलू सीमा की धारणा से अभिप्राय देश की राजनीतिक या भौगोलिक सीमा से लिया जाता है परंतु अर्थशास्त्र में  किसी देश की घरेलू सीमा की धारणा, राजनीतिक सीमा से अधिक विस्तृत है। इसके अंतर्गत राजनीतिक सीमा के अतिरिक्त देश की जल सीमा तथा देश के निवासियों द्वारा विभिन्न देशों में चलाए जाने वाले जलयान, वायुयान तथा दूतावास सम्मिलित होते हैं।

घरेलू सीमा की परिभाषा में निम्नलिखित बातों को शामिल किया जाता है

(1) देश की राजनीतिक या भौगोलिक सीमा (समुद्री सीमा सहित ) ।

(2) देश के निवासियों द्वारा दो या दो से अधिक देशों के बीच चलाये जाने वाले जलयान (Ships) तथा वायुयान (Aircrafts) । उदाहरण के लिए, जापान तथा कोरिया के बीच भारतीय समुद्री जहाजों का आना-जाना या एयर इंडिया द्वारा इंग्लैंड व कनाडा के बीच चलाए जाने वाले यात्री वायुयान भी भारत की घरेलू सीमा के ही भाग हैं।

(3) मछली पकड़ने की नौकाएँ, तेल व प्राकृतिक गैस यान व तैरते हुए प्लेटफार्म (Floating Platforms) जो अंतर्राष्ट्रीय जल सीमा में या उस सीमा में देश के निवासियों द्वारा चलाये जाते हैं जिनमें देश को तेल खोजने का अधिकार है। उदाहरण के लिए, भारतीय मछुआरों द्वारा मछली पकड़ने की नौकाओं को हिंद महासागर के अंतर्राष्ट्रीय जल मार्ग में चलाना भारत की घरेलू सीमा का अंग है। उपरोक्त टिप्पणी इस स्थिति में भी लागू होती है।

(4) एक देश के विदेशों में स्थित दूतावास, वाणिज्य दूतावास तथा सैनिक प्रतिष्ठान, वैज्ञानिक स्टेशन, सूचना एवं अप्रवास कार्यालय (Information and Immigration Offices) सहायता एजेंसियाँ। कुछ संस्थाएँ, उदाहरण के लिए, अमेरिका में भारतीय दूतावास, भारत की घरेलू सीमा का अंग है परंतु भारत में अमेरिका का दूतावास भारत की घरेलू सीमा का अंग नहीं है।

(ii) एक देश के सामान्य निवासी से क्या अभिप्राय है? (Normal Residents of a Country)

राष्ट्रीय आय एक देश के केवल सामान्य निवासियों की आय का सकल जोड़ है। अतः हमें सामान्य निवासी की अवधारणा को अवश्य समझ लेना चाहिए।

एक सामान्य निवासी वह व्यक्ति अथवा संस्था होता है जो साधारणतया एक देश में निवास करता है और जिसकी आर्थिक रुचि उसी देश में केंद्रित होती है। एक देश का सामान्य निवासी बनने के लिए एक व्यक्ति को उस देश में एक वर्ष या उससे अधिक समय के लिए अवश्य निवास करना चाहिए। इस संदर्भ में निम्नलिखित बातें उल्लेखनीय हैं:-

(1) सामान्य निवासी के अंतर्गत व्यक्ति तथा संस्थाएँ दोनों ही आते हैं ।

(2) यह जरूरी नहीं है कि एक देश का सामान्य निवासी उस देश का नागरिक भी हो। एक व्यक्ति एक देश का सामान्य निवासी हो सकता है, जबकि वह किसी अन्य देश का नागरिक होता है । उदाहरण के लिए यदि कोई भारतीय एक वर्ष से अधिक समय से अमेरिका में निवास कर रहा है और उसकी आर्थिक रुचि का केंद्र भी वही देश है तो वह अमेरिका का सामान्य निवासी माना जाएगा, भले ही वह भारत का नागरिक बना हुआ है।

(3) एक देश में स्थित WHO तथा IMF जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को उस देश के सामान्य निवासी नहीं कहा जाता है। किंतु  यदि कोई भारतीय इन संगठनों में काम करता है तो उसे भारत का सामान्य निवासी माना जाएगा।

(4) निम्नलिखित व्यक्तियों को देश के सामान्य निवासी नहीं माना जाता:-

(i) मनोरंजन, अवकाश बिताने, चिकित्सा, अध्ययन, कॉन्फ्रेंस, खेल-कूद आदि के लिए देश में आए विदेशी सैलानी,

(ii) विदेशी समुद्री जहाजों के कर्मीदल (Crew) के सदस्य, व्यावसायिक-यात्री तथा देश के मौसमी श्रमिक, (iii) ऐसे विदेशी जो गैर-निवासी उपक्रमों के कर्मचारी होते हैं और उस देश में उन मशीनों की स्थापना के लिए आते हैं जिन मशीनों को उनके स्वामियों से खरीदा जाता है इन सभी व्यक्तियों को विदेशी माना जाता है क्योंकि साधारणतया वे किसी देश की घरेलू सीमा के अंदर एक वर्ष से कम की अवधि के लिए ठहरते हैं और उनकी रुचि का केंद्र वह देश नहीं होता ।

(5) सीमा पर काम करने वाले श्रमिक या वे व्यक्ति जो लगभग प्रतिदिन अथवा नियमित रूप से दो देशों की सीमाओं को काम करने हेतु पार करते हैं, वे उस देश के निवासी होते हैं जिस देश में वे रहते हैं न कि उस देश के जिसमें वे काम करते हैं।

(6) विदेशी पदाधिकारी, कूटनीतिज्ञ तथा सशस्त्र सेना के सदस्यों को उस देश के सामान्य निवासी माना जाता है जिसके वे निवासी होते हैं न कि उस देश के जिसमें वे काम करते हैं।

संक्षेप में, हमारे देश के सामान्य निवासियों में इनको सम्मिलित किया जाता है: 

(i) अपने देश के नागरिक (तथा संस्थाएँ) जो साधारणतया देश में निवास करते हैं और जिनकी आर्थिक रुचि का केंद्र भी वही देश है।

(ii) अन्य राष्ट्रों के नागरिक जो एक वर्ष से अधिक की अवधि से हमारे देश में रह रहे हैं और जिनकी आर्थिक रुचि का केंद्र हमारा देश है।

(iii) हमारे देश के नागरिक जो इस देश में स्थित अंतर्राष्ट्रीय संगठनों अथवा विदेशी दूतावासों में काम करते हैं।

इसके विपरीत,जिनको सामान्य निवासी नहीं माना जाएगा:-

(i) उन विदेशियों को हमारे देश के सामान्य निवासी नहीं माना जाएगा जो सैर-सपाटे, मनोरंजन, अवकाश बिताने, चिकित्सा, अध्ययन, कॉन्फ्रेंस, खेल-कूद आदि के लिए यहाँ आते हैं।

(ii) विदेशी पदाधिकारी, कूटनीतिज्ञ तथा उस देश में स्थित समस्त सेना के सदस्यों एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को इस देश के सामान्य निवासी नहीं माना जाएगा।

सामान्य निवासियों तथा गैर-निवासियों के कुछ उदाहरण:-

भारत के सामान्य निवासी (Normal Residents of India)  भारत के गैर-निवासी (Non-Residents of India) 
1. भारत में स्थित विदेशी दूतावासों में काम करने वाले भारतीय । 1. कनाडा और जापान में स्थित भारतीय दूतावासों में काम करने वाले विदेशी
2. भारत में स्थित विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) में काम करने वाले भारतीय । 2. भारत में स्थित विश्व स्वास्थ्य संगठन में काम करने वाले विदेशी।
3. भारत में स्थित अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के कार्यालय में काम करने वाले स्थानीय लोग। 3. भारत में स्थित अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के कार्यालय के जर्मन निर्देशक (German Director)।
4. अमेरिका में भारत का राजदूत । 4. भारत में USA का राजदूत ।
5. भारत में एक वर्ष से अधिक की अवधि के लिए रह रहे विदेशी नागरिक (अध्ययन तथा चिकित्सा के लिए आए व्यक्तियों के अतिरिक्त)। 5. एक वर्ष से कम की अवधि के लिए भारत में काम कर रहे विदेशी तकनीकी विशेषज्ञ ।

 

(ii) घरेलू एवं राष्ट्रीय धारणाएँ बताओ (Domestic Versus National Concepts) 

घरेलू उत्पाद या आय की धारणा का संबंध किसी देश की घरेलू सीमा में सभी उत्पादकों (सामान्य निवासियों तथा गैर-निवासियों) द्वारा उत्पादित उत्पादन से है।

इसके विपरीत राष्ट्रीय उत्पाद या आय की धारणा का संबंध किसी देश के सभी सामान्य निवासियों द्वारा देश की घरेलू सीमा तथा शेष विश्व में किए गए उत्पाद से है। यदि घरेलू उत्पाद या आय की धारणा में विदेशों से निवल कारक आय (Net Factor Income from Abroad) को जोड़ दिया जाए तो राष्ट्रीय उत्पाद या आय का अनुमान लगाया जा सकता है। अर्थात

‘राष्ट्रीय’ उत्पाद या आय = घरेलू उत्पाद या आय + विदेशों से निवल कारक आय

इसके विपरीत यदि राष्ट्रीय उत्पाद या आय की धारणा में से विदेशों से निवल कारक आय को घटा दिया जाए तो घरेलू उत्पाद या आय का अनुमान लगाया जा सकता है।

घरेलू उत्पाद या आय = राष्ट्रीय उत्पाद या आय – विदेशों से निवल कारक आय

विदेशों से निवल कारक आय से क्या अभिप्राय है (Net Factor Income from Abroad):- 

किसी देश के सामान्य निवासी, विदेशों में जो कारक आय प्राप्त करते हैं तथा गैर-निवासी उस देश में जो कारक आय प्राप्त करते हैं उनके अंतर को विदेशों से निवल कारक आय कहा जाता है।

परिभाषा (Definition):-

 “विदेशों से निवल कारक आय से अभिप्राय एक देश के सामान्य निवासियों द्वारा शेष विश्व को प्रदान की गई कारक सेवाओं के बदले में प्राप्त आय तथा एक देश की घरेलू सीमा में गैर-निवासियों या विदेशियों द्वारा प्रदान की गई कारक सेवाओं के बदले में भुगतान की गई आय के अंतर से है । ” 

अन्य शब्दों में:-

विदेशों से निवल कारक आय = सामान्य निवासियों द्वारा शेष विश्व में प्राप्त कारक आय गैर-निवासियों द्वारा उस देश में प्राप्त कारक आय

विदेशों से निवल कारक आय की धारणा को एक उदाहरण द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है। मान लीजिए भारतीय निवासी विदेशों में काम करके मज़दूरी प्राप्त करते हैं। भारतीय बैंक विदेशों में ऋण देकर ब्याज प्राप्त करते हैं। भारतीय निवासी विदेशों में संपत्ति का स्वामित्व प्राप्त करके लगान प्राप्त करते हैं तथा विदेशों में पूँजी का निवेश करके लाभ कमाते हैं। इस प्रकार मान लीजिए भारतीय निवासी विदेशों में कारक सेवाएँ प्रदान करके मज़दूरी, लाभ, लगान तथा ब्याज के रूप में ₹ 1,000 करोड़ प्राप्त करते हैं। इसी प्रकार गैर- निवासियों द्वारा भारत की घरेलू सीमा में जो कारक सेवाएँ प्रदान की जाती हैं उनके बदले में उन्हें ₹800 करोड़ प्राप्त होते हैं। इस प्रकार विदेशों से कारक सेवाओं के बदले में प्राप्त आय तथा विदेशियों को उनकी कारक सेवाओं के बदले में भुगतान की गई आय का अंतर अर्थात ₹200 करोड़ विदेशों से निवल कारक आय कहलाएगी।

विदेशों से निवल कारक आय = ₹ 1,000 करोड़ – 800 करोड़ = 200 करोड़ ”

विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय के तीन मुख्य अंग हैं:-

(1) विदेशों से कर्मचारियों का निवल पारिश्रमिक

(2) विदेशों से संपत्ति एवं उद्यमवृत्ति से निवल आय

(3) विदेशों से निवल प्रतिधारित आय । 

विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय के घटक कौन कौन से है (Components of Net Factor Income from Abroad)

1.कर्मचारियों का निवल पारिश्रमिक (Net Compensation of Employees ):

उन निवासी श्रमिकों को प्राप्त पारिश्रमिक जो विदेशों में अस्थायी रूप से काम करते हैं और एक देश की घरेलू सीमा के अंदर अस्थायी रूप से काम करने वाले गैर-निवासियों को प्राप्त पारिश्रमिक के अंतर को कर्मचारियों का निवल पारिश्रमिक कहा जाता है। ( कर्मचारियों के पारिश्रमिक का अर्थ मालिकों द्वारा कर्मचारियों को नकद तथा किस्म (Cash and Kind ) के रूप में किया जाने वाला भुगतान है। इसमें मालिकों द्वारा कर्मचारियों की भविष्य निधि (Provident Fund ) में किया गया अंशदान भी शामिल होता है ।)

2.संपत्ति तथा उद्यमशीलता से प्राप्त निवल आय (Net Income from Property and Entrepreneurship):

यह एक देश के निवासियों द्वारा लगान, ब्याज तथा लाभ के रूप में प्राप्त आय तथा शेष विश्व को किए गए ऐसे ही भुगतानों का अंतर है।

3.विदेशों में निवासी कंपनियों की निवल प्रतिधारित आय (Net Retained Earnings of Resident Companies Abroad ):-

यह विदेशों में स्थित निवासी कंपनियों की प्रतिधारित आय (Retained Earnings) तथा देश की घरेलू सीमा में स्थित विदेशी कंपनियों की प्रतिधारित आय का अंतर है ।

(iv) सकल एवं निवल धारणाएँ (Gross Versus Net Concepts):-

सकल‘ (Gross) शब्द का प्रयोग निवल (Net) शब्द की तुलना में विस्तृत अर्थों में किया जाता है। सकल उत्पाद या आय में निवल उत्पाद या आय के अतिरिक्त स्थायी पूँजी का उपभोग (सामान्य टूट-फूट + अप्रचलन + आकस्मिक हानि की सामान्य दर) शामिल होता है।

निवल उत्पाद या आय = सकल उत्पाद या आय – स्थायी पूँजी का उपभोग

अतएव सकल उत्पाद या आय से निवल उत्पाद या आय ज्ञात करने के लिए उसमें से स्थायी पूँजी के उपभोग को घटा दिया जाता है।

इसके विपरीत निवल उत्पाद या आय से सकल उत्पाद या आय ज्ञात करने के लिए उसमें स्थायी पूँजी का उपभोग जोड़ दिया जाताहै। अर्थात

सकल उत्पाद या आय = निवल उत्पाद या आय + स्थायी पूँजी का उपभोग

पूँजी का उपभोग या मूल्यह्रास ( घिसावट व्यय)से क्या है?:-

 (Consumption of Fixed Capital or Depreciation) 

उत्पादन प्रक्रिया के दौरान सामान्य टूट-फूट आकस्मिक हानि तथा अप्रचलन के कारण अचल पूँजी का मूल्य कम हो जाता है।

 परिभाषा ( Definition):-

 अचल पूँजी के उपभोग या मूल्यह्रास ( घिसावट व्यय) से अभिप्राय है एक लेखा वर्ष में सामान्य टूट-फूट, अनुमानित अप्रचलन तथा आकस्मिक हानि की सामान्य दर के कारण स्थायी पूँजी के मूल्य में होने वाली कमी।

(Consumption of fixed capital or depreciation is the loss in the value of fixed capital due to normal wear and tear, foreseen obsolescence and normal rate of accidental damage.)

अतएव अचल पूँजी के उपभोग के तीन मुख्य कारण हैं:-

 (i) सामान्य टूट-फूट (Normal Wear and Tear):-

 प्रत्येक अर्थव्यवस्था में वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन के दौरान मशीनों, यंत्रों, फैक्टरी की इमारत आदि पूँजीगत वस्तुओं की घिसावट (Wear and Tear) होती है। इसके फलस्वरूप उनके मूल्य में कमी आ जाती है।

 (ii) अनुमानित अप्रचलन (Foreseen Obsolescence):-

तकनीकी या अन्य कारणों से भी कुछ मशीनों का प्रयोग बंद हो जाता है तथा उनका मूल्य कम हो जाता है। में होने वाली यह कमी अप्रचलन (Obsolescence) कहलाती है।

 अप्रचलन का अर्थ है किसी स्थायी पूँजी के मूल्य में उत्पादन तकनीक के परिवर्तन के कारण कमी आना अथवा उसके द्वारा उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं की माँग में परिवर्तन होने से कमी आना। उदाहरण के लिए, कारों में डीज़ल के इंजनों का प्रयोग होने के कारण पेट्रोल के इंजन धीरे-धीरे प्रचलन से बाहर हो रहे हैं। यह तकनीकी अप्रचलन है। इसी प्रकार टेरालीन के कपड़ों का प्रयोग बढ़ जाने से नाइलॉन के कपड़ों की माँग बहुत कम हो गई है। नाइलॉन के कपड़े बनाने वाली मशीनों का उपयोग कम हो गया है अर्थात उनका अप्रचलन होने लगा है। इसके फलस्वरूप उनके मूल्य बहुत कमी होने लगी है।

 (iii) आकस्मिक हानि की सामान्य दर (Normal Rate of Accidental Damages):-

कई बार पूँजीगत पदार्थों की आकस्मिक दुर्घटनाएँ होती रहती हैं। आकस्मिक दुर्घटनावश उनके मूल्य में कमी आ जाती है। मूल्य में होने वाली इस कमी को ही आकस्मिक दुर्घटना की सामान्य दर कहा जाता है। अतएव

अचल पूँजी का उपभोग = सामान्य टूट-फूट + अप्रचलन + दुर्घटनावश हानि

(Consumption of Fixed Capital =Normal Wear and Tear + Obsolescence + Accidental Damages) 

(v) बाजार कीमत एवं कारक लागत धारणाएँ (Market Price Versus Factor Cost Concepts):- 

राष्ट्रीय आय / राष्ट्रीय उत्पाद को बाजार कीमत अथवा कारक लागत के रूप में भी व्यक्त किया जा सकता है। बाजार कीमत में व्यक्त राष्ट्रीय आय/उत्पाद (अथवा घरेलू आय/उत्पाद) को बाजार कीमत पर राष्ट्रीय आय (अथवा बाजार कीमत पर घरेलू आय) कहा जाता है। इसी प्रकार, कारक लागत के रूप में व्यक्त राष्ट्रीय आय को कारक लागत पर राष्ट्रीय आय कहा जाता है।

इन दोनों में निम्नलिखित अंतर पाया जाता है:-

बाजार कीमत में दो प्रभाव सम्मिलित होते हैं:

(i) आर्थिक सहायता (Subsidies) का प्रभाव जिसके कारण बाजार कीमत घटती है।

(ii) अप्रत्यक्ष करों (Indirect Taxes) का प्रभाव जिनके कारण बाजार कीमत बढ़ती है।

कारक लागत, आर्थिक सहायता अथवा अप्रत्यक्ष करों के प्रभाव से मुक्त (Free) होती है। तद्नुसार बाजार कीमत पर राष्ट्रीय आय (अथवा घरेलू आय) को कारक लागत पर राष्ट्रीय आय / राष्ट्रीय उत्पाद में बदलने के लिए निम्नलिखित समीकरण की सहायता ली जाती है:

बाजार कीमत पर राष्ट्रीय आय – अप्रत्यक्ष कर + आर्थिक सहायता = कारक लागत पर राष्ट्रीय आय

आर्थिक सहायता जो बाजार कीमत को कम करती है इसमें जोड़ी जाती है एवं अप्रत्यक्ष कर जो बाजार कीमत को बढ़ाते है इसमें से घटाए जाते हैं।

उपरोक्त समीकरण को निम्नलिखित ढंग से भी लिखा जाता है:

बाजार कीमत पर राष्ट्रीय आय – निवल अप्रत्यक्ष कर = कारक लागत पर राष्ट्रीय आय

(निवल अप्रत्यक्ष कर = अप्रत्यक्ष कर – आर्थिक सहायता)

2.राष्ट्रीय आय तथा संबंधित समुच्चय(National Income and Related Aggregates) 

राष्ट्रीय आय के मुख्य समुच्चय (Aggregates ) निम्नलिखित हैं:-

(i) बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product at Market Price – GDPMP)

(ii) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (Gross National Product at Market Price – GNPMP)

 (iii) बाज़ार कीमत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद (Net National Product at Market Price – NNPMP)

(iv) बाज़ार कीमत पर निवल घरेलू उत्पाद (Net Domestic Product at Market Price – NDPMP) 

(v) कारक लागत पर निवल घरेलू उत्पाद या निवल घरेलू आय (Net Domestic Product at Factor Cost or Net Domestic Income – NDPFC or NDY) 

(vi) कारक लागत पर सकल घरेलू उत्पाद या सकल घरेलू आय 

(Gross Domestic Product at Factor Cost or Gross Domestic Income – GDPFC or GDY)

(vii) कारक लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद या सकल राष्ट्रीय आय 

(Gross National Product at Factor Cost or Gross National Income – GNPFC or GNY) 

(viii) कारक लागत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद या राष्ट्रीय आय 

(Net National Product at Factor Cost or National Income – NNPFC or NY) 

(ix) राष्ट्रीय प्रयोज्य आयः सकल तथा निवल धारणाएँ (National Disposable Income: Gross and Net Concepts) 

(x) निजी क्षेत्र को घरेलू उत्पाद से प्राप्त आय (Factor Income from Domestic Product accruing to Private Sector) 

(xi) निजी आय ( Private Income) 

(xii) व्यक्तिगत आय (Personal Income) 

(xiii) व्यक्तिगत प्रयोज्य आय (Personal Disposable Income)। 

(i) बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product at Market Price-GDPmp):-

किसी देश की घरेलू सीमा में एक लेखा वर्ष में सभी उत्पादकों द्वारा जितनी भी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है. जिसमें मूल्यह्रास (या घिसावट व्यय) भी शामिल होता है। उनकी बाजार कीमत के जोड़ को बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है। कुछ उत्पादक गैर-निवासी या विदेशी भी हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, भारत में कई विदेशी बैंक कार्य करते हैं। कई विदेशी व्यापारिक प्रतिष्ठान तथा उद्यम वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन करते हैं। इनके द्वारा मूल्य वृद्धि भी भारत के घरेलू उत्पादन का भाग है।

परिभाषा (Definition):-

किसी देश की घरेलू सीमा में एक लेखा वर्ष में सभी उत्पादकों (सामान्य निवासियों तथा गैर-निवासियों) द्वारा जितनी भी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है, उनकी बाजार कीमत के जोड़ को बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है।

[Gross Domestic Product (GDP) is the market value of the final goods and services produced during a year within the domestic territory of a country.] 

(i) सकल (Gross):-

सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के लिए सकल (Gross) शब्द इसलिए जोड़ा गया है क्योंकि इसमें मूल्यह्रास (Depreciation) या स्थिर पूँजीगत वस्तुओं के उपभोग (Consumption of Fixed Capital) का मूल्य भी शामिल होता है ।

(ii) घरेलू (Domestic):-

इसके अंतर्गत देश की घरेलू सीमा में एक लेखा वर्ष में सभी उत्पादकों अर्थात सामान्य निवासियों तथा गैर-निवासियों दोनों के द्वारा किये गये अंतिम उत्पादन के मूल्य को शामिल किया जाता है।

(iii) अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य (Value of Final Goods and Services):-

इसके अंतर्गत केवल अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के बाजार मूल्य को शामिल किया जाता है। इसके अंतर्गत मध्यवर्ती वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्य को शामिल नहीं किया जाता क्योंकि उनका मूल्य अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्य में ही शामिल होता है।

(iv) बाजार मूल्य (Market Value):-

बाजार मूल्य का अनुमान वस्तुओं तथा सेवाओं की मात्राओं को उनकी कीमतों से गुणा करके लगाया जाता है। सकल घरेलू उत्पाद द्वारा अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं का बाजार मूल्य प्रकट होता है। यदि बाजार मूल्य चालू कीमतों पर मापा जाता है तो यह मौद्रिक सकल घरेलू उत्पाद को प्रकट करता है। इसके विपरीत यदि इसे आधार वर्ष की स्थिर कीमतों पर मापा जाता है तो यह वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद को प्रकट करता है। बाजार मूल्य में अप्रत्यक्ष कर जोड़े जाते हैं परंतु आर्थिक सहायता को घटा दिया जाता है।

(ii) बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (Gross National Product at Market Price-GNPmp

सकल राष्ट्रीय उत्पाद एक घरेलू धारणा नहीं है, यह एक राष्ट्रीय धारणा है। यहाँ हमें एक देश के सभी सामान्य निवासियों, चाहे वे विश्व के किसी भी भाग में निवास कर रहे हों, के राष्ट्रीय उत्पाद का अनुमान लगाना है। अब हम स्वयं को एक देश की घरेलू सीमा तक ही सीमित नहीं रखेंगे। हम घरेलू सीमा के अंदर गैर-निवासी फर्मों द्वारा उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं को भी शामिल नही करेंगे। अतः सकल राष्ट्रीय उत्पाद, एक लेखा वर्ष की अवधि के दौरान देश के सामान्य निवासियों द्वारा उत्पादित अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं के बाजार मूल्य को कहते हैं ।

हाँ, यह सही है कोई घरेलू धारणा (जैसे घरेलू आय) राष्ट्रीय धारणा (राष्ट्रीय आय) बन जाती है यदि उसमें विदेशों से निवल कारक आय को जोड़ दिया जाए। इसी प्रकार कोई भी राष्ट्रीय धारणा घरेलू बन जाती है यदि उसमें से विदेशों से निवल कारक आय को घटा दिया जाए।

परिभाषा ( Definition):-

बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद एक देश की घरेलू सीमा में सामान्य निवासियों द्वारा एक लेखा वर्ष में उत्पादित अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं के बाजार मूल्य के अतिरिक्त (i) विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय तथा (ii) स्थायी पूँजी के उपभोग का जोड़ है ।

 [ Gross National Product at market price (GNPMP) is the market value of the final goods and services produced within the domestic territory of a country by the normal residents during an accounting year along with (i) net factor income earned from abroad and (ii) consumption of fixed capital.] 

बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) तब बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) बन जाता है जब इसमें विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय को जोड़ा जाता है। अतः

बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) + विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय (NFIA) = बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) 

विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय (Net Factor Income from Abroad – NFIA) हमारे निवासियों द्वारा शेष विश्व से प्राप्त कारक आय (लगान, ब्याज, लाभ तथा मजदूरी) तथा हमारे देश में प्राप्त गैर-निवासियों द्वारा प्राप्त कारक आय का अंतर है।

विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय (NFIA) = हमारे निवासियों द्वारा विदेशों से प्राप्त कारक आय

हमारे देश में गैर-निवासियों (अन्य देशों के निवासियों) को प्राप्त कारक आय

ध्यान रहे कि विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय धनात्मक (Positive) अथवा ऋणात्मक (Negative) हो सकती है। यदि विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय धनात्मक है तो सकल राष्ट्रीय उत्पाद, सकल घरेलू उत्पाद से अधिक होगा। इसके विपरीत, यदि विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय ऋणात्मक है तो सकल राष्ट्रीय उत्पाद, सकल घरेलू उत्पाद से कम होगा।

बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (Gross National Product at Market Price) GNPmp):-

(1) बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद

(2) विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय

(3) बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (1+2+3)

 

(iii) बाजार कीमत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद (Net National Product at Market Price — NNPmp

उत्पादन प्रक्रिया के दौरान, स्थायी पूँजी की कुछ टूट-फूट होती है। इसे घिसावट या स्थायी पूँजी का उपभोग

कहते हैं। यदि बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद में से घिसावट को घटा दिया जाए तो हमें बाजार कीमत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद प्राप्त हो जाता है।

बाजार कीमत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद=बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – घिसावट (टूट-फूट + अप्रचलन)

परिभाषा (Definition

बाजार कीमत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद किसी अर्थव्यवस्था की घरेलू सीमा में एक लेखा वर्ष में सामान्य निवासियों द्वारा उत्पादित अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के निवल उत्पाद के बाजार मूल्य तथा विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय का जोड़ है।

 [ Net National Product at market price ( NNPMP) is the market value of net output of final goods and services produced by normal residents within the domestic territory of a country along with net factor income from abroad during a year.] 

(iv) बाजार कीमत पर निवल घरेलू उत्पाद (Net Domestic Product at Market Price —NDPmp

बाजार कीमत पर निवल घरेलू उत्पाद किसी देश की घरेलू सीमा में एक लेखा वर्ष में सभी उत्पादकों द्वारा उत्पादित अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं के बाजार मूल्य तथा स्थायी पूँजी के उपभोग का अंतर है।

बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDP MP) और बाजार कीमत पर निवल घरेलू उत्पाद (NDPMP) में केवल मात्र इतना ही अंतर है कि बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद में घिसावट व्यय शामिल होता है जबकि बाजार कीमत पर निवल घरेलू उत्पाद में यह शामिल नहीं होता।

बाजार कीमत पर निवल घरेलू उत्पाद = बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद – स्थायी पूँजी का उपभोग या घिसावट व्यय 

(NDPMP = GDPMP – Depreciation) 

अथवा

बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद = बाजार कीमत पर निवल घरेलू उत्पाद + स्थायी पूँजी का उपभोग या घिसावट व्यय

(GDPmp = NDPmp + Depreciation)

परिभाषा (Definition) 

बाजार कीमत पर निवल घरेलू उत्पाद एक देश की घरेलू सीमा में सामान्य निवासियों तथा गैर-निवासियों द्वारा एक लेखा वर्ष में उत्पादित अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं के बाजार मूल्य के बराबर है। इसमें से घिसावट मूल्य घटा दिया जाता है।

[Net Domestic Product at market price (NDPMP) is the market value of final goods and services produced within the domestic territory of a country by its normal residents and non-residents during an accounting year.] 

एक चेतावनी घिसावट का अनुमान लगाते समय केवल उन पूँजीगत वस्तुओं के मूल्य में होने वाली कमी को शामिल किया जाता है जिनका प्रयोग किया जा रहा है। इसके अंतर्गत केवल अनुमानित अप्रचलन को शामिल किया जाता है जो (i) तकनीक में परिवर्तन, (ii) माँग में परिवर्तन करने के कारण होता है। प्राकृतिक दुर्घटनाओं जैसे बाढ़, आग आदि के कारण अचानक होने वाले अप्रचलन को शामिल नहीं किया जाता 

 

(v) निवल घरेलू आय या कारक लागत पर निवल घरेलू उत्पाद 

(Net Domestic Income or Net Domestic Product at Factor Cost-NDPFC

एक देश की घरेलू सीमा के अंतर्गत एक लेखा वर्ष में उत्पादित कारक आय के जोड़ को निवल घरेलू आय या कारक लागत पर निवल घरेलू उत्पाद कहा जाता है। दूसरे शब्दों में, कारक लागत पर निवल घरेलू उत्पाद को ही निवल घरेलू आय भी कहते हैं। इस प्रकार निवल घरेलू आय = कारक लागत पर निवल घरेलू उत्पाद |

परिभाषा (Definition):-

एक देश की घरेलू सीमा में एक लेखा वर्ष में अर्जित कारक आय (लगान + मजदूरी + व्याज + लाभ ) के सकल जोड़ को निवल घरेलू आय अथवा कारक लागत पर निवल घरेलू उत्पाद कहते हैं ।

 [ Net Domestic Income or Net Domestic Product at factor cost (NDPFC) is the sum total of factor incomes (rent + profit +wages + interest) generated within the domestic territory of a country during a year.] 

कारक लागत पर निवल घरेलू उत्पाद (NDPFc) तथा बाजार कीमत पर निवल घरेलू उत्पाद (NDPMP) में पाये जाने वाले अंतर को निम्नलिखित समीकरण द्वारा समझाया जाता है:-

NDPFC = NDPMP अप्रत्यक्ष कर (Indirect Taxes ) + आर्थिक सहायता ( Subsidies)

अथवा

NDPFC = NDPMP – निवल अप्रत्यक्ष कर (NIT) क्योंकि

निवल अप्रत्यक्ष कर (NIT) = अप्रत्यक्ष कर (Indirect Taxes ) – आर्थिक सहायता ( Subsidies)

एक महत्त्वपूर्ण अवलोकन (An Important Observation) 

अप्रत्यक्ष कर तथा आर्थिक सहायता एक-दूसरे के विपरीत हैं । अप्रत्यक्ष करों (वस्तुओं तथा सेवाओं पर लगाए जाने वाले कर, जैसे बिक्री कर, उत्पादन कर आदि) के फलस्वरूप बाजार कीमत में वृद्धि होती है, जबकि आर्थिक सहायता के कारण इसमें कमी होती है। आर्थिक सहायता सरकार द्वारा उन उत्पादकों की क्षतिपूर्ति के लिए दी जाती है जो अपनी वस्तुओं को उत्पादन लागत से कम कीमत पर बेचते हैं। अतः बाजार कीमत में से अप्रत्यक्ष कर को घटाया तथा आर्थिक सहायता को जोड़ा जाता है।

(vi) कारक लागत पर सकल घरेलू उत्पाद या सकल घरेलू आय 

(Gross Domestic Product at Factor Cost or Gross Domestic Income-GDPFC

कारक लागत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPFC) में घिसावट व्यय सम्मिलित होता है, जबकि कारक लागत पर निवल घरेलू उत्पाद (NDPFC) में घिसावट व्यय शामिल नहीं होता । अतः

कारक लागत पर सकल घरेलू उत्पाद = कारक लागत पर निवल घरेलू उत्पाद + घिसावट व्यय

(GDPFC = NDPFc + Depreciation) 

स्पष्ट है कि यदि हमें कारक लागत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPFc) ज्ञात हो तो कारक लागत पर निवल घरेलू उत्पाद निम्नलिखित सूत्र द्वारा ज्ञात कर सकते हैं:

कारक लागत पर निवल घरेलू उत्पाद = कारक लागत पर सकल घरेलू उत्पाद – घिसावट व्यय

(NDPFC = GDPFC – Depreciation ) 

परिभाषा (Definition) :-

  • कारक लागत पर सकल घरेलू उत्पाद घरेलू सीमा में एक लेखावर्ष में मजदूरी, लगान, ब्याज तथा लाभ के रूप अर्जित आय तथा स्थायी पूँजी के उपभोग मूल्य का जोड़ है ।

[ Gross Domestic Product at factor cost (GDPFc) is the sum total of factor incomes (rent + interest + profit + wages) generated within the domestic territory of a country, alongwith consumption of fixed capital, during a year.] 

(vi) कारक लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद या सकल राष्ट्रीय आय 

(Gross National Product at Factor Cost or Gross National Income-GNPFC

यदि कारक लागत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद में घिसावट व्यय को जोड़ दिया जाए तो हमें कारक लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद प्राप्त हो जाता है। अर्थात

कारक लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = कारक लागत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद + स्थायी पूँजी का उपभोग या मूल्यह्रास

स्पष्ट है कि

(GNPFC = NNPFc + Depreciation ) 

कारक लागत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद = कारक लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – घिसावट व्यय

(NNPFC = GNPFC – Depreciation) 

परिभाषा (Definition) 

  • सकल राष्ट्रीय आय एक देश में एक वर्ष में सामान्य निवासियों द्वारा अर्जित कारक लागतों का सकल जोड़ है जिसमें स्थायी पूँजी का उपभोग ( घिसावट व्यय) सम्मिलित रहता है।

[ Gross National Product at factor cost (GNPFC) is the sum total of factor incomes earned by normal residents of a country, alongwith consumption of fixed capital, during a year.] 

(viii) कारक लागत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद या राष्ट्रीय आय 

(Net National Product at Factor Cost or National Income-NNPFC

हम यह जान चुके हैं कि ‘घरेलू’ आय को ‘राष्ट्रीय’ आय में बदलने के लिए उसमें ‘विदेशों से निवल कारक आय’ जोड़ देते हैं। घरेलू आय अर्थात कारक लागत पर निवल घरेलू उत्पाद, घरेलू आय है। इसे कारक लागत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद बनाने के लिए इसमें ‘विदेशों से निवल कारक आय‘ (NFIA) को जोड़ा जाता है:

कारक लागत पर निवल घरेलू उत्पाद + विदेशों से निवल कारक आय = कारक लागत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद

(NDPFC + NFIA = NNPFC) 

स्मरण रहे (Note): जैसे कारक लागत पर निवल घरेलू उत्पाद को घरेलू आय कहा जाता है, वैसे ही कारक लागत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद को राष्ट्रीय आय कहा जाता है।

परिभाषा (Definition):- 

  • किसी एक लेखा वर्ष में किसी देश की घरेलू सीमा में अर्जित सकल कारक आय (लगान + मजदूरी + ब्याज तथा लाभ) तथा विदेशों से निवल कारक आय का जोड़ कारक लागत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद अथवा राष्ट्रीय आय कहलाता है।

 [Net National Product at factor cost (NNPFc) or National Income is the sum total of factor incomes (rent + interest + profit + wages) generated within the domestic territory of a country, alongwith net factor income from abroad during a year.] 

अथवा

  • कारक लागत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFc) एक वर्ष में एक देश के सामान्य निवासियों द्वारा अर्जित सकल कारक आय का जोड़ होता है ।

(NNPFc is the sum total of factor incomes earned by normal residents of a country during a year.)

(ix) राष्ट्रीय प्रयोज्य आय (National Disposable Income):-

राष्ट्रीय प्रयोज्य आय से अभिप्राय किसी देश की बाज़ार कीमत पर उस निवल आय से है जो उस देश को खर्च करने के लिए उपलब्ध होती है। किसी देश की राष्ट्रीय प्रयोज्य आय, उस देश की राष्ट्रीय आय, निवल अप्रत्यक्ष कर तथा शेष विश्व से प्राप्त चालू हस्तांतरण आय का जोड़ है। अर्थात

राष्ट्रीय प्रयोज्य आय = राष्ट्रीय आय (कारक लागत पर निवल घरेलू आय + विदेशों से निवल कारक आय) + निवल अप्रत्यक्ष कर + शेष विश्व से निवल चालू हस्तांतरण

परिभाषा (Definition):-

  • राष्ट्रीय प्रयोज्य आय वह आय है जो किसी देश के निवासियों को सभी स्रोतों (अर्जित आय एवं विदेशों में प्राप्त होने वाले चालू हस्तांतरण भुगतानों) से उपभोग या बचत के लिए एक वर्ष में प्राप्त होती है ।

 [ National Disposable income is the income from all sources (earned income as well as current transfer payments from abroad) available to residents of a country for consumption expenditure or for saving during a year.] 

राष्ट्रीय प्रयोज्य आय की सकल तथा निवल धारणाएँ :-

(Gross and Net Concepts of National Disposable Income) 

इन धारणाओं में निम्नलिखित आधारभूत अंतर हैं:-

सकल राष्ट्रीय प्रयोज्य आय में चालू पुनःस्थापन लागत (Current Replacement Cost) या संपूर्ण अर्थव्यवस्था की घिसावट लागत शामिल होती है। जबकि निवल राष्ट्रीय प्रयोज्य आय में यह शामिल नहीं होती। अतः

पुनः स्थापन लागत क्या है

यह किसी राष्ट्र द्वारा एक वर्ष में उपयोग की जाने वाली संपत्ति के बेकार हो जाने के कारण उसके पुनः स्थापन की लागत है। यह संपूर्ण अर्थव्यवस्था की घिसावट लागत है।

निवल राष्ट्रीय प्रयोज्य आय = सकल राष्ट्रीय प्रयोज्य आय – चालू पुनःस्थापन लागत

(x) निजी क्षेत्र को निवल घरेलू उत्पाद से प्राप्त कारक आय :-

(Factor Income from Net Domestic Product accruing to Private Sector) 

प्रत्येक अर्थव्यवस्था में मुख्य रूप से दो क्षेत्र होते हैं:-

(1) निजी क्षेत्र ( Private Sector ) :-

इसके अंतर्गत वे सभी उद्यम शामिल होते हैं जिनका स्वामित्व निजी व्यक्तियों के हाथ में होता है।

( 2 ) सार्वजनिक क्षेत्र (Public Sector ):-

सार्वजनिक क्षेत्र वह क्षेत्र है जिसके अंतर्गत सरकार के प्रशासनिक विभाग, विभागीय (Departmental) उद्यम (जैसे: रेल विभाग और डाक तथा तार सेवाएँ) तथा गैर- विभागीय (Non- Departmental) उद्यम (जैसे: एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस) शामिल होते हैं। किसी देश में उत्पादित निवल घरेलू उत्पाद का जो भाग निजी क्षेत्र को प्राप्त होता है उसे निजी क्षेत्र को निवल घरेलू उत्पाद से प्राप्त कारक आय कहा जाता है।

परिभाषा (Definition):-

  • डर्नबर्ग के अनुसार, “निजी क्षेत्र को निवल घरेलू उत्पाद से प्राप्त आय का अर्थ है श्रमिकों के पारिश्रमिक, प्रचालन अधिशेष तथा मिश्रित आय के रूप में अर्जित निवल घरेलू उत्पाद की कारक लागत का वह भाग जो निजी क्षेत्र को प्राप्त होता है।”

 (Factor income from net domestic product accruing to private sector is that part of factor cost of net domestic product generated in the form of compensation to employees, operating surplus and mixed income which is accrued to the private sector. —Dernburg) 

निजी क्षेत्र को निवल घरेलू उत्पाद से प्राप्त आय में कारक लागत पर निवल घरेलू उत्पाद का केवल वह भाग ही शामिल किया जाता है जो निजी क्षेत्र को प्राप्त होता है। वास्तव में इसमें

(i) विभागीय उद्यमों की संपत्ति तथा उद्यमवृत्ति से प्राप्त आय और

(ii) गैर- विभागीय उद्यमों की बचत को शामिल नहीं किया जाता ।

निजी क्षेत्र को निवल घरेलू उत्पाद से प्राप्त कारक आय = कारक लागत पर निवल घरेलू उत्पाद – विभागीय उद्यमों की संपत्ति तथा उद्यमवृत्ति से प्राप्त आय -गैर- विभागीय उद्यमों की बचत

(xi) निजी आय (Private Income):- 

निजी आय से अभिप्राय उस आय से है जो निजी क्षेत्र को एक लेखा वर्ष में सभी स्त्रोतों से प्राप्त कारक आय तथा सरकार और शेष विश्व से प्राप्त वर्तमान हस्तांतरण भुगतान का जोड़ है।

परिभाषा (Definition):-

  • केंद्रीय सांख्यिकी संगठन के अनुसार, “निजी आय वह आय है जो निजी क्षेत्र को सभी स्रोतों से प्राप्त होने वाली कारक आय तथा सरकार से प्राप्त चालू हस्तांतरण और शेष विश्व से प्राप्त वर्तमान हस्तांतरण का जोड़ है ।

 ” ( Private income is the total of factor income from all sources and current transfers from the and rest of the world accruing to private sector. -Central Statistical Organisation) 

निजी आय में कारक आय तथा हस्तांतरण भुगतान दोनों को शामिल किया जाता है। निजी आय ज्ञात करने के लिए निजी क्षेत्र निवल घरेलू उत्पाद से प्राप्त कारक आय में (i) सरकार से प्राप्त चालू हस्तांतरण, (ii) राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज, (iii) शेष विश्व से चालू हस्तांतरण को जोड़ा जाता है तथा

राष्ट्रीय आय में से (i) सरकारी विभागीय उद्यमों को संपत्ति व उद्यमवृति से प्राप्त आय तथा (ii) गैर-विभागीय उद्यमों की बचत को घटाया जाता है। इसके अंतर्गत सरकारी क्षेत्र को प्राप्त होने वाली आय को शामिल नहीं किया जाता। यह निजी क्षेत्र को निवल घरेलू उत्पाद से प्राप्त आय, विदेशों से निवल कारक आय तथा वर्तमान हस्तांतरण भुगतान का जोड़ है अर्थात

निजी आय = निजी क्षेत्र को निवल घरेलू उत्पाद से प्राप्त आय + राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज + विदेशों से निवल कारक आय + सरकार से वर्तमान हस्तांतरण + शेष विश्व से निवल वर्तमान हस्तांतरण

(xii) व्यक्तिगत आय (Personal Income):-

व्यक्तिगत आय किसी देश के व्यक्तियों व परिवारों को एक लेखा वर्ष में सभी स्त्रोतों से वास्तव में प्राप्त कारक आय तथा वर्तमान हस्तांतरण भुगतान का जोड़ है।

परिभाषा (Definition):-

  • पीटरसन के अनुसार, “व्यक्तिगत आय व्यक्तियों द्वारा सभी स्रोतों से वास्तव में प्राप्त कारक आय तथा वर्तमान हस्तांतरण भुगतान का जोड़ है।

” ( Personal income is the income actually received by persons from all sources in the form of current transfer payments and factor income. -Peterson) 

व्यक्तिगत आय के अंतर्गत व्यक्तियों को सभी स्रोतों से वास्तव में प्राप्त होने वाली आय को शामिल किया जाता है। उदाहरण के लिए, फर्मों या निगमों को जो लाभ प्राप्त होते हैं उसमें से कुछ भाग व्यक्तियों में नहीं बाँटा जाता। वह अवितरित लाभ (Undistributed Profit), जिसे उद्यमों की बचत (Corporate Saving) भी कहा जाता है के रूप में फर्मों के पास रह जाता है। सरकार भी, व्यक्तिगत आय के एक भाग को, निगम लाभ कर (Corporate Profit Tax) के रूप में प्राप्त करती है। यह दोनों भाग (उद्यमों की बचत और निगम कर) परिवारों को प्राप्त नहीं होता है। इसलिए, निजी व्यक्तिगत आय की गणना करने के लिए, इन्हें निजी आय से घटाया जाता है।

निजी आय तथा व्यक्तिगत आय का मुख्य अंतर यह है कि निजी आय में निजी निगमों की बचतें और निगम कर शामिल होते हैं जबकि व्यक्तिगत आय में ये शामिल नहीं होते ।

व्यक्तिगत आय = निजी आय – निजी उद्यमों की बचतें – निगम कर

(xiii) व्यक्तिगत प्रयोज्य आय (Personal Disposable Income):- 

प्रयोज्य आय = परिवार क्षेत्र की बचत परिवार क्षेत्र का उपभोग

व्यक्तिगत प्रयोज्य आय वह आय है जो परिवारों को सभी प्रत्यक्ष कर देने तथा सरकार को अनिवार्य भुगतान करने के बाद सभी स्रोतों से प्राप्त होती है और जिसे वे अपनी इच्छानुसार खर्च करने तथा बचत करने के लिए स्वतंत्र होते हैं। इसके द्वारा उनकी क्रय शक्ति का अनुमान लगाया जा सकता है।

परिभाषा (Definition):-

  • पीटरसन के अनुसार, ” प्रयोज्य आय वह आय है जो परिवारों को सभी स्रोतों से प्राप्त होती है तथा उनके पास सरकार द्वारा उनकी आय तथा संपत्तियों पर लगाये गये सभी प्रकार के करों का भुगतान करने के बाद बचती है।”

(Disposable income is the income available to persons from all sources and remaining with them after deduction of all taxes levied against their income and their property by the government. — Peterson) 

प्रयोज्य आय ज्ञात करने के लिए व्यक्तिगत आय में से प्रत्यक्ष करों तथा सरकारी प्रशासनिक विभागों की विविध प्राप्तियों अर्थात फीस, जुर्माने, नगरपालिकाओं द्वारा लगाये गये सफाई कर आदि को घटा दिया जाता है।

प्रयोज्य आय = व्यक्तिगत आय – प्रत्यक्ष व्यक्तिगत कर — सरकार के प्रशासनिक विभागों की विविध प्राप्तियाँ

राष्ट्रीय आय संबंधी विभिन्न धारणाएँ तथा संबंधित धारणाएँ – एक दृष्टि में

(Different Concepts of National Income and Related Aggregates – At a Glance) 

1. बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) एक लेखा वर्ष में देश की घरेलू सीमा में सभी उत्पादकों द्वारा उत्पादित अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं का बाजार मूल्य
2. बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) GDPMP + विदेशों से निवल कारक आय
3. बाजार कीमत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP) GNPMP – स्थायी पूँजी का उपभोग या घिसावट व्यय
4. बाजार कीमत पर निवल घरेलू उत्पाद (NDPMP) विदेशों से निवल कारक आय
5. कारक लागत पर निवल घरेलू उत्पाद (NDPFc) या निवल घरेलू आय NDPMP – अप्रत्यक्ष कर + आर्थिक सहायता
6. कारक लागत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPFc) NDPFC + मूल्यह्रास / घिसावट व्यय
7. कारक लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPFC) GDPFC + विदेशों से निवल कारक आय
8. कारक लागत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद या राष्ट्रीय आय NNPFC or NY GNPFc – मूल्यह्रास/घिसावट व्यय
9. निवल राष्ट्रीय प्रयोज्य आय निवल घरेलू आय + विदेशों से निवल कारक आय + निवल अप्रत्यक्ष कर + शेष विश्व से निवल चालू हस्तांतरण
10. सकल राष्ट्रीय प्रयोज्य आय निवल राष्ट्रीय प्रयोज्य आय + चालू पुनःस्थापन लागत
11. निजी क्षेत्र को निवल घरेलू उत्पाद से प्राप्त कारक आय कारक लागत पर निवल घरेलू उत्पाद -विभागीय उद्यमों की संपत्ति तथा उद्यमवृत्ति से प्राप्त आय – गैर- विभागीय उद्यमों की बचत।
12. निजी आय निजी क्षेत्र को घरेलू उत्पाद से प्राप्त आय + विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय + सरकार से वर्तमान हस्तांतरण + शेष विश्व से वर्तमान हस्तांतरण + राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज
13. व्यक्तिगत आय निजी आय – निगम कर – उद्यमों की बचत।
14. व्यक्तिगत प्रयोज्य आय व्यक्तिगत  आय – प्रत्यक्ष व्यक्तिगत कर -परिवारों द्वारा दिए गए विविद फीस ओर जुर्माने

 

राष्ट्रीय आय की विभिन्न धारणाओं से संबंधित संख्यात्मक उदाहरण तथा उनके हल (Numerical Illustrations Relating to Various Concepts of National Income and their Solutions) 

उदाहरण (Illustration) 1. 

निम्न आँकड़ों के आधार पर बाजार कीमत पर निवल (शुद्ध) घरेलू उत्पाद ज्ञात करें:

 

मदें

(₹) 

(i) निवल (शुद्ध) अप्रत्यक्ष कर

100

(ii) स्थायी पूँजी का उपभोग

200

(iii) कर्मचारियों का पारिश्रमिक

2,000

  (iv) प्रचालन- अधिशेष

500

(v) स्वरोजगार प्राप्त व्यक्तियों की मिश्रित आय

1,500

हल (Solution) :- 

बाजार कीमत पर निवल घरेलू उत्पाद = कर्मचारियों का पारिश्रमिक + प्रचालन अधिशेष + स्वरोजगार प्राप्त व्यक्तियों की मिश्रित आय + निवल (शुद्ध) अप्रत्यक्ष कर

=2,000+500 +1,500+ 100 = 4,100 

उत्तर: बाजार कीमत पर निवल घरेलू उत्पाद = ₹ 4,100।

उदाहरण (Illustration) 2. 

निम्नलिखित आँकड़ों की सहायता से बाजार कीमत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद ज्ञात करें

मदें

(₹ करोड़)

(i) कारक लागत पर प्राथमिक क्षेत्र में निवल मूल्य वृद्धि

60,000

(ii) कारक लागत पर द्वितीयक क्षेत्र में निवल मूल्य वृद्धि

40,000

(iii) कारक लागत पर तृतीयक क्षेत्र में निवल मूल्य वृद्धि

30,000

(iv) निवल अप्रत्यक्ष कर

20,000

(v) विदेशों से निवल कारक आय

(-) 5,000

(v) घिसावट व्यय या स्थायी पूँजी का उपभोग

10,000

हल (Solution):-

बाजार कीमत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद =

कारक लागत पर प्राथमिक क्षेत्र में निवल मूल्य वृद्धि + कारक लागत पर द्वितीयक क्षेत्र में निवल मूल्य वृद्धि + कारक लागत पर तृतीयक क्षेत्र में निवल मूल्य वृद्धि + निवल अप्रत्यक्ष कर + विदेशों से निवल कारक आय

= ₹ 60,000 करोड़ + ₹40,000 करोड़ + ₹30,000 करोड़ + ₹20,000 करोड़ + (-) ₹5,000 करोड़ 

= ₹ 1,45,000 करोड़ 

उत्तर: बाजार कीमत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद = 1,45,000 करोड़ |

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